प्राण तुम्हारे नयनों में मैं
खोज रही कुछ सुख का स्त्रोत,
दीन निर्धनों की आहों से
करुणामय हो ओत-प्रोत !
आज हृदय में शक्ति न इतनी
नयनों का अभिसार करूँ,
प्रणय सिंधु के तीर खड़ी मैं
कैसे तुमको प्यार करूँ !
मुझे बुलाती अट्टहास कर
उन लहरों की तीव्र पुकार,
स्वयम् बिखर जाती टकरा कर
चट्टानों से हो जो छार !
आज सहोदर भ्राताओं में
है कितना वैषम्य महान्,
एक झुक रहा है चरणों में
और दूसरा लिये कृपाण !
सुख की सेज, राजसी भोजन
वस्त्रों से पूरित भण्डार,
एक सुखी है और दूसरा
नंगे भूखों का सरदार !
भूखे नन्हे बच्चों की वे
करुण पुकारें उठ कर आज,
अंतरिक्ष से जा टकरातीं
और लौटतीं बेआवाज़ !
दुःख के भीषण अंधकार में
सुख की किरण न पहुँची एक,
नयनों का निर्झर झर करता
दरिद्र देव का है अभिषेक !
हृदय कष्ट से रो-रो उठता
पर कैसे प्रतिकार करूँ ,
दुखियारे मानव समाज पर
दया करूँ या प्यार करूँ !
किरण
आज सहोदर भ्राताओं में
जवाब देंहटाएंहै कितना वैषम्य महान्,
एक झुक रहा है चरणों में
और दूसरा लिये कृपाण !
sach me samay ke saath sab kuch badal rahaa hai| saMvedanaayen mar rahee hain. bahut acchee racanaa badhaaI aapako saparivaar naye saal kee hardik shubhkamanayen
बहुत अच्छा लिखा है | शब्द चयन बेमिसाल है |
जवाब देंहटाएंआशा
बेहद सुन्दर शब्द संयोजन है...
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता,हमेशा की तरह
आप की कविता से दर्द झलकता हे इस समाज का, बहुत अच्छी रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनव-वर्ष की शुभकामनाएँ आपको और आपके परिवार को भी
गाजियाबाद से एक यलो एक्सप्रेस चल रही है जो आपके ब्लाग को चौपट कर सकती है, जरा सावधान रहे।
जवाब देंहटाएंbahut khoob,...
जवाब देंहटाएंPls Visit My Blog
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बेहद खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमर्म छू मुग्ध कर गयी रचना...
जवाब देंहटाएंस्थिति का प्रभावशाली सटीक चित्रण किया है आपने...मन बोझिल हो गया..
काश कि यह दृश्य बदल पाता..
हृदय कष्ट से रो-रो उठता
जवाब देंहटाएंपर कैसे प्रतिकार करूँ ,
दुखियारे मानव समाज पर
दया करूँ या प्यार करूँ !
बहुत खूबसूरती से मन का अंतर्द्वद्व बताया है -
शुभकामनाएं
मन के भीतर उठ रहे द्वन्द की
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना में अभिव्यक्ति ...
एक प्रभावशाली रचना !!
प्रभावशाली रचना
जवाब देंहटाएंबहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया....... ....माफी चाहता हूँ.