शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

अनोखा संसार

तुमने आ मेरे जीवन में रचा नया संसार
अनोखा स्वप्नों का संसार ,
निराला स्वप्नों का संसार !

यहाँ मचलती इठलाती सरिता में बहती आहें,
यहाँ बीन की झंकारों में खोती कसक कराहें,
यहाँ प्यार के प्यासे तट रह जाते फैला बाहें,
यहाँ थिरकती मुस्कानों में छिपी निराश निगाहें !

यहाँ मचलता अग्निशिखा पर परवानों का प्यार !
अनोखा स्वप्नों का संसार,
निराला स्वप्नों का संसार !

यहाँ अंगारों में चंदा को पाती मस्त चकोरी,
यहाँ वियोगिनी चकवी करती सूर्य किरण की चोरी,
यहाँ अमा की गहन रात्रि में जलती सुख की होरी,
यहाँ स्वाति पर बलि होता पागल चातक बरजोरी !

यहाँ खिलखिलाता काँटों में कलियों का अभिसार !
अनोखा स्वप्नों का संसार,
निराला स्वप्नों का संसार !

यहाँ भँवर से खेल रही जीवन नौका सुखसानी,
यहाँ पुष्प के मिट जाने पर अलि गाते आभिमानी,
यहाँ मुस्कुराते नयनों से गिरता रिमझिम पानी,
इस सूखे मरुथल में आकर यह मधु ऋतु बौरानी !

यहाँ सिसकते अरमानों में है जग का श्रृंगार !
अनोखा स्वप्नों का संसार,
निराला स्वप्नों का संसार !

यहाँ विषमता समता में नित होती है रंगरेली,
यहाँ निराशा आशा पर छा जाती निपट अकेली,
यहाँ लुटा करती वैभव पर मानवता अलबेली,
यहाँ दीनता की करुणा बन जाती सहज सहेली !

यहाँ विवशता झुलसा जाती भाव कुञ्ज सुकुमार !
अनोखा स्वप्नों का संसार ,
निराला स्वप्नों का संसार !

किरण

12 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ सिसकते अरमानों में है जग का श्रृंगार !

    बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  2. यहाँ विवशता झुलसा जाती भाव कुञ्ज सुकुमार !
    अनोखा स्वप्नों का संसार ,
    निराला स्वप्नों का संसार !

    bahut khub!
    pyare shabd

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  3. बहुत् सुंदर भाव लिये हे आप की रचना, धन्यवाद
    लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई

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  4. यहाँ अमा की गहन रात्रि में जलती सुख की होरी,
    यहाँ स्वाति पर बलि होता पागल चातक बरजोरी !

    बहुत ही सुन्दर भावमयी रचना..लोहड़ी और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनायें ..

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  5. सुन्दर शब्द चयन के साथ भाव भीनी अभिव्यक्ति |
    आशा

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना
    आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !

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  7. तुमने आ मेरे जीवन में रचा नया संसार
    अनोखा स्वप्नों का संसार ,
    निराला स्वप्नों का संसार !

    यहाँ मचलती इठलाती सरिता में बहती आहें,
    यहाँ बीन की झंकारों में खोती कसक कराहें,
    यहाँ प्यार के प्यासे तट रह जाते फैला बाहें,
    यहाँ थिरकती मुस्कानों में छिपी निराश निगाहें !

    यहाँ मचलता अग्निशिखा पर परवानों का प्यार !
    अनोखा स्वप्नों का संसार,
    निराला स्वप्नों का संसार !


    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  8. यहाँ सिसकते अरमानों में है जग का श्रृंगार !
    अनोखा स्वप्नों का संसार,
    निराला स्वप्नों का संसार !

    सुन्दर शब्दों से सजी प्यारी सी रचना

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  9. भाव गहन हैं। शब्द चयन भी आकर्षक बन पड़ा है।

    आभार,

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  10. यहाँ विषमता समता में नित होती है रंगरेली,
    यहाँ निराशा आशा पर छा जाती निपट अकेली,...

    आज के हालात पर ये लाइने सटीक बैठती हैं ... आज हर तरफ बीएस निराशा ही निराशा है ..

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