मंगलवार, 2 अक्टूबर 2012

शतश: प्रणाम



ओ आज़ादी के दीवानों, ओ स्वातंत्र्य युद्ध के वीरों ,
ओ रणचण्डी के खप्पर को भरने वाले रणवीरों ! 

देकर  तन मन धन की आहुति जीवन यज्ञ रचाने वालों,
अपने दृढ़ निश्चय के दीपक , जला पंथ दिखलाने वालों ! 

बने  नींव के पत्थर पल क्षण , अपनी भेंट चढ़ाने वालों ,
विजय दुर्ग की प्राचीरों को , दृढ़ करने वाले मतवालों ! 

ओ भारत के कोहिनूर , गाँधी बाबा तुमको प्रणाम ,
ओ  अमर शहीदों भक्तिपूर्ण तुमको प्रणाम शतश: प्रणाम ! 



किरण


11 टिप्‍पणियां:

  1. माँ की इस लेखनी में देश का सौभाग्य और संस्कार है .... उसी की पुकार आज भी है, ज़रूरत है

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  2. ओ भारत के कोहेनूर , गाँधी बाबा तुमको प्रणाम ,
    ओ अमर शहीदों भक्तिपूर्ण तुमको प्रणाम शतश: प्रणाम !

    कोटिश प्रणाम ॥

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  3. Bapu ke baad aisee koyee hastee is desh me paida nahee huee jise ham shat shat pranam kar saken!

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  4. बढ़िया प्रस्तुति है कोहिनूर लिखें आइन्दा .

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  5. ओ भारत के कोहिनूर ------प्रणाम "
    बहुत बढ़िया रचना |
    आशा

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  6. गांधी जयंती पर सुंदर प्रस्तुति ।

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  7. धन्यवाद वीरेन्द्र जी ! शब्द को सुधार दिया है ! आभार आपका !

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