नन्हे पौधों को नहलाया ओस परी ने खुश होकर !
फूलपरी ने आ उन सबका फूलों से श्रृंगार किया ,
सोई कली जगाईं, पलकें चूम बहुत सा प्यार दिया !
फिर सुगंध की परियाँ कलसे भर-भर कर पराग लाईं ,
नन्हे पौधों को सौरभ की भर-भर प्याली पकड़ाईं !
देख सूर्य का तेज लाज से सकुचा कर सब भाग गईं ,
खेल खेलने फूलों के संग तितली भँवरे चले कई !
बच्चों पौधों जैसे यदि उपकारी तुम बन जाओगे ,
वीर जवाहर, बापू से बन जग में नाम कमाओगे !
तो यह ही सब परियाँ आकर तुम पर प्यार लुटायेंगी ,
जग में फूलों की सुगंध सी कीर्ति तुम्हारी गायेंगी !
नाम तुम्हारा अमर रहेगा सब तुमको दुलरायेंगे ,
'ये हैं सच्चे लाल हिंद के' , कह जन मन सुख पायेंगे !
किरण
बहुत खूबसूरत .... कितनी सुंदर कल्पना की ही ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत, परियों का, किरणों का..
जवाब देंहटाएंबच्चों पौधों जैसे यदि उपकारी तुम बन जाओगे ,
जवाब देंहटाएंवीर जवाहर, बापू से बन जग में नाम कमाओगे ! ... कितनी सरलता से किरण जी ने एक सीख दे दी , बिल्कुल परियों की तरह
सुन्दर परी लोक...सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत
जवाब देंहटाएंसादर
वाह अति उत्तम अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह.......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सुकोमल रचना.....
सादर.
नाजुक अहसास समेटे उत्कृष्ट प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंतो यह ही सब परियाँ आकर तुम पर प्यार लुटायेंगी ,
जवाब देंहटाएंजग में फूलों की सुगंध सी कीर्ति तुम्हारी गायेंगी !
सुंदर....अति सुंदर....!!
भाव संयोजन....शब्द संयोजन.....
और भी न जाने क्या क्या...!!
Nice .
जवाब देंहटाएंhttp://sufidarwesh.blogspot.in/2012/04/sufi-silsila.html
बहुत भावपूर्ण और संदर रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
बचपन याद आ गया साधना जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी..
जवाब देंहटाएंदेख सूर्य का तेज लाज से सकुचा कर सब भाग गईं ,
जवाब देंहटाएंखेल खेलने फूलों के संग तितली भँवरे चले कई ..
बचपन कों खेलती सुन्दर भाव मय कविता ...
माँ को प्रणाम ...
जवाब देंहटाएंसबसे पहला गीत सुनाया
जवाब देंहटाएंमुझे सुलाते , अम्मा ने !
थपकी दे दे कर बहलाते
आंसू पोंछे , अम्मा ने !
सुनते सुनते निंदिया आई,आँचल से निकले थे गीत !
उन्हें आज तक भुला न पाया,बड़े मधुर थे मेरे गीत !
आज तलक वो मद्धम स्वर
कुछ याद दिलाये कानों में
मीठी मीठी लोरी की धुन
आज भी आये, कानों में !
आज जब कभी नींद ना आये,कौन सुनाये मुझको गीत !
काश कहीं से मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !
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जवाब देंहटाएंअम्मा जी की श्रेष्ठ रचनाओं की लड़ी के इस एक और मोती के लिए आभार !
शुभकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार