सोमवार, 23 अप्रैल 2012

न खुशियों में हो मस्त तुम













कुछ बहारों ने आकर चमन से कहा ,
यूँ न फूलो न खुशियों में हो मस्त तुम!

हमने माना खिले गुल हर इक शाख पर
हर कली झूमती , मस्त है ज़िंदगी ,
बुलबुलें गा रहीं गीत मस्ती भरे
कर रहीं तितलियाँ झुक तुम्हें बंदगी !

चार दिन को मिली ताज़गी जो तुम्हें
कुछ करो, दूसरों की भलाई करो ,
छोड़ दो तुम गरूर और झूठी हया
गर मरो तो शहीदों की मानिंद मरो !

मुस्कुराता  समाँ रह न पायेगा फिर
फिर न बुलबुल तराने सुना पायेगा ,
जब उजड़ जायेगा वह नशेमन, न फिर
वह खुशी के तराने सुना पायेगा !

इसलिये याद रक्खो अरे गुलिस्ताँ
दूसरों के लिये मत रहो मस्त तुम ,
कुछ बहारों ने आकर चमन से कहा
यूँ न फूलो न खुशियों में हो मस्त तुम !


किरण





16 टिप्‍पणियां:

  1. Aadrniya mausiji ,saadra namste , sundar bhav bhini kavita hae aaj ki.aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  2. चार दिन को मिली ताज़गी जो तुम्हें
    कुछ करो, दूसरों की भलाई करो ,
    छोड़ दो तुम गरूर और झूठी हया
    गर मरो तो शहीदों की मानिंद मरो !

    बहुत सुंदर .... सार्थक संदेश दिया बहारों ने चमन को

    जवाब देंहटाएं
  3. फूलों की तरह खुशबू बिखेरती सुन्दर रचना... सुन्दर भाव... आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. मुस्कुराता समाँ रह न पायेगा फिर
    फिर न बुलबुल तराने सुना पायेगा ,
    जब उजड़ जायेगा वह नशेमन, न फिर
    वह खुशी के तराने सुना पायेगा !... समय को दर्शाता सत्य

    जवाब देंहटाएं
  5. ज़िंदगी की सच्चाईयां.
    See
    http://hbfint.blogspot.in/2012/04/40-last-sermon.html

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर रचना..........
    सादर नमन.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

    जवाब देंहटाएं
  9. अनुपम भाव संयो‍जित किए हैं आपने इस अभिव्‍यक्ति में
    कल 25/04/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... मैं तबसे सोच रही हूँ ...

    जवाब देंहटाएं