कुछ बहारों ने आकर चमन से कहा ,
यूँ न फूलो न खुशियों में हो मस्त तुम!
हमने माना खिले गुल हर इक शाख पर
हर कली झूमती , मस्त है ज़िंदगी ,
बुलबुलें गा रहीं गीत मस्ती भरे
कर रहीं तितलियाँ झुक तुम्हें बंदगी !
चार दिन को मिली ताज़गी जो तुम्हें
कुछ करो, दूसरों की भलाई करो ,
छोड़ दो तुम गरूर और झूठी हया
गर मरो तो शहीदों की मानिंद मरो !
मुस्कुराता समाँ रह न पायेगा फिर
फिर न बुलबुल तराने सुना पायेगा ,
जब उजड़ जायेगा वह नशेमन, न फिर
वह खुशी के तराने सुना पायेगा !
इसलिये याद रक्खो अरे गुलिस्ताँ
दूसरों के लिये मत रहो मस्त तुम ,
कुछ बहारों ने आकर चमन से कहा
यूँ न फूलो न खुशियों में हो मस्त तुम !
किरण
Aadrniya mausiji ,saadra namste , sundar bhav bhini kavita hae aaj ki.aabhar.
जवाब देंहटाएंचार दिन को मिली ताज़गी जो तुम्हें
जवाब देंहटाएंकुछ करो, दूसरों की भलाई करो ,
छोड़ दो तुम गरूर और झूठी हया
गर मरो तो शहीदों की मानिंद मरो !
बहुत सुंदर .... सार्थक संदेश दिया बहारों ने चमन को
बेहतरीन पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंफूलों की तरह खुशबू बिखेरती सुन्दर रचना... सुन्दर भाव... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव भरे हैं
जवाब देंहटाएंखूबसूरत से अहसास .....सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंमुस्कुराता समाँ रह न पायेगा फिर
जवाब देंहटाएंफिर न बुलबुल तराने सुना पायेगा ,
जब उजड़ जायेगा वह नशेमन, न फिर
वह खुशी के तराने सुना पायेगा !... समय को दर्शाता सत्य
bahut sundar bhavon se bhari kriti !
जवाब देंहटाएंज़िंदगी की सच्चाईयां.
जवाब देंहटाएंSee
http://hbfint.blogspot.in/2012/04/40-last-sermon.html
बहुत सुंदर रचना..........
जवाब देंहटाएंसादर नमन.
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह -
जवाब देंहटाएंजबरदस्त ।
बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजित किए हैं आपने इस अभिव्यक्ति में
जवाब देंहटाएंकल 25/04/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... मैं तबसे सोच रही हूँ ...
bahut sunder bhaav aur seekh deti rachna.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
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