नन्हे पौधों को नहलाया ओस परी ने खुश होकर !
फूलपरी ने आ उन सबका फूलों से श्रृंगार किया ,
सोई कली जगाईं, पलकें चूम बहुत सा प्यार दिया !
फिर सुगंध की परियाँ कलसे भर-भर कर पराग लाईं ,
नन्हे पौधों को सौरभ की भर-भर प्याली पकड़ाईं !
देख सूर्य का तेज लाज से सकुचा कर सब भाग गईं ,
खेल खेलने फूलों के संग तितली भँवरे चले कई !
बच्चों पौधों जैसे यदि उपकारी तुम बन जाओगे ,
वीर जवाहर, बापू से बन जग में नाम कमाओगे !
तो यह ही सब परियाँ आकर तुम पर प्यार लुटायेंगी ,
जग में फूलों की सुगंध सी कीर्ति तुम्हारी गायेंगी !
नाम तुम्हारा अमर रहेगा सब तुमको दुलरायेंगे ,
'ये हैं सच्चे लाल हिंद के' , कह जन मन सुख पायेंगे !
किरण