फूली सरसों झूमी बालें, धरणी को फिर श्रृंगार मिला ,
छाई आमों पर तरुणाई, बौरों को मधु का प्यार मिला !
नव पादप झूम उठे साथी, कोकिल फिर तान लगी भरने ,
नव खिली कली को देख भ्रमर, फिर से मनुहार लगे करने !
कोमल किसलय के आँचल से, छाई वृक्षों पर हरियाई ,
चंचला प्रकृति के प्रांगण में, फिर आज बज उठी शहनाई !
फिर रक्त कुसुम खिलखिला उठे, टेसू ने वन में भरा रंग ,
कुसुमायुध लेकर आ पहुँचा, निज सखा सहित ऋतुपति अनंग !
सौरभ वितरित कर कुसुमों ने, कर दिये सुगन्धित दिग्दिगंत ,
सब जग हर्षित हो नाच उठा, आई बहार आया वसन्त !
किरण
छाई आमों पर तरुणाई, बौरों को मधु का प्यार मिला !
नव पादप झूम उठे साथी, कोकिल फिर तान लगी भरने ,
नव खिली कली को देख भ्रमर, फिर से मनुहार लगे करने !
कोमल किसलय के आँचल से, छाई वृक्षों पर हरियाई ,
चंचला प्रकृति के प्रांगण में, फिर आज बज उठी शहनाई !
फिर रक्त कुसुम खिलखिला उठे, टेसू ने वन में भरा रंग ,
कुसुमायुध लेकर आ पहुँचा, निज सखा सहित ऋतुपति अनंग !
सौरभ वितरित कर कुसुमों ने, कर दिये सुगन्धित दिग्दिगंत ,
सब जग हर्षित हो नाच उठा, आई बहार आया वसन्त !
किरण
बसंत का बहुत मनोरम वर्णन ॥
जवाब देंहटाएंअनुपम सौन्दर्य छिटकाती अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसुन्दर!!
जवाब देंहटाएंkhushboo hi khushboo ...
जवाब देंहटाएंबसंत का मनोहारी चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंअनुपम सौन्दर्य छिटकाती अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंप्रकृति की छटा का अद्भुद चित्रण किया है |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत अच्छा चित्रण
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