आज अपनी माँ की काव्य मंजूषा से एक बहुत ही खूबसूरत रचना आपके लिये लेकर लाई हूँ ! इस रचना में देश के तत्कालीन कर्णधारों के प्रति उनका यह भोला विश्वास आम जनता की आशाओं का प्रतिनिधित्व करता है ! यह विश्वास कितना कायम रह सका और कितना टूटा यह तो सभी जानते हैं लेकिन इस रचना की सकारात्मकता अपने आप में अद्भुत है !
द्वार पर है वसन्त का भोरजा रहा है पतझड़ मुख मोड़ ,
प्रगति के चरण बढ़ रहे हैं
अभावों की चिंता दो छोड़ !
रिक्त सब पात्र भरेंगे शीघ्र
रमा का फिर होगा साम्राज्य ,
दुखों की चादर होगी क्षीण
बढ़ेगा सुख सौरभ अविभाज्य !
काल की चाल बदल देगा
हमारा नया स्वर्ण इतिहास ,
लक्ष्य सारे ही होंगे पूर्ण
हृदय में है इतना उल्लास !
प्रमोदिनी ऊषा आयेगी
नित्य मंगल घट लेकर प्रात ,
खिलेंगे मुरझाये तब फूल
हँसेंगे कोमल तन जल जात !
साधना का फल शुभ होगा
मिलेगा जीवन को वरदान ,
हमारी मातृभूमि है स्वर्ग
न हो फिर क्यों इस पर अभिमान !
दक्ष भारत के कर्णाधार
शान्ति के दूत, दया के देव ,
त्याग की मूर्ति लिये स्फूर्ति
बताते पथ हमको स्वयमेव !
मिलेगी क्यों न हमें फिर विजय
न होगा क्यों चिंता से त्राण ,
अभावों का निश्चय है नाश
प्रफुल्लित होंगे तन-मन-प्राण !
श्रमिक नव चेतन पायेंगे
दलित त्यागेंगे भ्रम भय भूत ,
एकता होगी फिर अक्षय
विरोधों की छँट करके छूत !
ज्ञान का कोष लुटा देगा
विश्व का तब यह देश महान ,
सूर्य की प्रथम किरण के साथ
गगन में गूँजे गौरव गान !
किरण
बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंप्रमोदिनी ऊषा आयेगी
जवाब देंहटाएंनित्य मंगल घट लेकर प्रात
हर्ष और आस लुटाती भोर की तरंग .......!!
Behad sundar rachana!
हटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसबके भाग्य करवट लेंगे...
जवाब देंहटाएंज्ञान का कोष लुटा देगा
जवाब देंहटाएंविश्व का तब यह देश महान ,
सूर्य की प्रथम किरण के साथ
गगन में गूँजे गौरव गान !
बेहतरीन पंक्तियाँ हैं।
सादर
बेहद उम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबस अब बसंत आने को है ..और इतनी सुन्दर माँ की रचना आप ले आई हैं तो बसंत तो आ ही गया ..
जवाब देंहटाएंकल 17/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह! बहुत सुन्दर और प्रेरक.
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना..
वाह बहुत उम्दा सुन्दर प्रस्तुति आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर आशा और नए विश्वास जगाती बेहतरीन प्रस्तुति है
जवाब देंहटाएंbehtareen rachna...baut khooob....
जवाब देंहटाएंमेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था
मधुर ... सारगर्भित रचना ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव लिए रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
आशा रास्ता खोज ही लेगी ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भाव की प्रस्तुति new post...वाह रे मंहगाई...
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