राह तुम्हारी दूर चले आये तुम पंथी भूले ,
हुए उदय कुछ पुण्य हमारे पद रज पा हम फूले !
स्नेह बिंदु कुछ इस मरुथल में आ तुमने बरसाये ,
ये सूखे जीवन तरु राही पा तुमको सरसाये !
स्वागत गान तुम्हारा गाती भ्रमरावलि की टोली ,
मृदु पराग से भर दी तुमने नव कुसुमों की झोली !
ओ परदेसी आज तुम्हें पा हमने सीखा पाना ,
जीवन की ममता माया को अब हमने पहचाना !
नदी किनारे बैठा चातक मरता आज तृषा से ,
पीड़ित धरा कोप से रवि की रह-रह भरे उसाँसे !
तुमने पिला मधुर वाणी रस उसके भाव जगाये ,
सरस स्वच्छ शबनम से आँसू धरिणी पर बरसाये !
ओ अनजाने राही कैसे स्वागत करें तुम्हारा ,
हृदय थाल में भाव दीप रख करें पंथ उजियारा !
पलक पाँवड़े बिछा दिए जा रखना याद हमारी ,
हमें तुम्हारी यह स्मृति निधि सारे जग से प्यारी !
किरण
हुए उदय कुछ पुण्य हमारे पद रज पा हम फूले !
स्नेह बिंदु कुछ इस मरुथल में आ तुमने बरसाये ,
ये सूखे जीवन तरु राही पा तुमको सरसाये !
स्वागत गान तुम्हारा गाती भ्रमरावलि की टोली ,
मृदु पराग से भर दी तुमने नव कुसुमों की झोली !
ओ परदेसी आज तुम्हें पा हमने सीखा पाना ,
जीवन की ममता माया को अब हमने पहचाना !
नदी किनारे बैठा चातक मरता आज तृषा से ,
पीड़ित धरा कोप से रवि की रह-रह भरे उसाँसे !
तुमने पिला मधुर वाणी रस उसके भाव जगाये ,
सरस स्वच्छ शबनम से आँसू धरिणी पर बरसाये !
ओ अनजाने राही कैसे स्वागत करें तुम्हारा ,
हृदय थाल में भाव दीप रख करें पंथ उजियारा !
पलक पाँवड़े बिछा दिए जा रखना याद हमारी ,
हमें तुम्हारी यह स्मृति निधि सारे जग से प्यारी !
किरण
बहुत भावमयी रचना ... माँ की हर रचना शिल्प में अद्भुत लगती है
जवाब देंहटाएंkhubsurat...
जवाब देंहटाएंस्वागत गान तुम्हारा गाती भ्रमरावलि की टोली ,
जवाब देंहटाएंमृदु पराग से भर दी तुमने नव कुसुमों की झोली !
बहुत भावभीनी।
हुए उदय कुछ पुण्य हमारे पद-रज पा हम फूले !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की मंगल कामनाओं सहित आभार ||
dineshkidillagi.blogspot.com
ओ अनजाने राही कैसे स्वागत करें तुम्हारा ,
जवाब देंहटाएंहृदय थाल में भाव दीप रख करें पंथ उजियारा !
बहुत सुन्दर....
आपको और सभी परिवार जनों को चैत्र नवरात्र और नव संवत की अनेकों मंगलकामनाएं.
सादर.
अनु
नदी किनारे बैठा चातक मरता आज तृषा से ,
जवाब देंहटाएंपीड़ित धरा कोप से रवि की रह-रह भरे उसाँसे !
बहुत ही प्यारी रचना
आप को सपरिवार नव संवत की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
बहुत भावमयी रचना
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
bahut hi utkrisht bhaw
जवाब देंहटाएंस्नेह बिंदु कुछ इस मरुथल में आ तुमने बरसाये ,
जवाब देंहटाएंये सूखे जीवन तरु राही पा तुमको सरसाये !
चैत्र नवरात्र और नव संवत की अनेकों मंगलकामनाएं.....!
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण |
जवाब देंहटाएंआशा
नव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /
जवाब देंहटाएंकभी लगे हम भी परदेशी, इस दुनिया में।
जवाब देंहटाएंKya chuninda rachana hai!
जवाब देंहटाएंराह तुम्हारी दूर चले आये तुम पंथी भूले ,
जवाब देंहटाएंहुए उदय कुछ पुण्य हमारे "पद राज" पा हम फूले !
बहुत सुंदर गीत.... पद राज...?? संभवतः “पद-रज” होगा...
सादर।
स्नेह बिंदु कुछ इस मरुथल में आ तुमने बरसाये ,
जवाब देंहटाएंये सूखे जीवन तरु राही पा तुमको सरसाये !
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
आभार आपका संजय जी टाइपिंग की त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए ! अभी सुधार लेती हूँ ! वहाँ 'पद रज' ही है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमाँ की रचनाओं को जिस प्यार से हम लोगों को आप पढ़ा रही हें इसके लिए आभार. बहुत सुंदर भावपूर्ण कृति है.
जवाब देंहटाएंतुमने पिला मधुर वाणी रस उसके भाव जगाये ,
जवाब देंहटाएंसरस स्वच्छ शबनम से आँसू धरिणी पर बरसाये ..
बहुत ही सुन्दर भावमय कृति ...
bahut saras prastuti hai. bhaav vibhor ho gaya man.
जवाब देंहटाएंपलक पाँवड़े बिछा दिए जा रखना याद हमारी ,
जवाब देंहटाएंहमें तुम्हारी यह स्मृति निधि सारे जग से प्यारी !
bahut hi achchi prastuti