सोमवार, 3 सितंबर 2012

तेरी माया

 
 
 
 
रूप ने श्याम तेरे भरमाया ! 
फूल पत्र सुन्दर कलियाँ बन सबका ह्रदय चुराया ! 
रूप ने श्याम तेरे भरमाया ! 

किसीने पत्थर, फूल किसीने, किसीने क्षीर बताया 
वन उपवन में कहा किसीने किसीने नीर बताया ! 

कोई कहता वह मस्जिद में 'खुदा' बना है आया ,
कहा  किसीने 'गॉड' बना गिरिजा में मोहन आया ! 
 
कोई  कहता यमुना तट पर उसने रास रचाया ,
बन कर उसने ग्वाल बाल नवनीत चुरा कर खाया ! 

नंदग्राम में कहा किसीने नंद ने गोद खिलाया ,
राम रूप धर कर लंका में रावण वीर हराया ! 
 
कुरुक्षेत्र  रण भूमि में फिर वह पार्थ सखा बन आया ,
देकर गीता ज्ञान उसे फिर धर्म कर्म सिखलाया ! 

द्रुपद सुता ने की गुहार जब तत्क्षण चीर बढ़ाया ,
जल भीतर गज ग्राह लड़े तब आकर तुरंत छुड़ाया ! 

सुन-सुन करके ऐ मनमोहन तेरी अद्भुत माया ,
कोना-कोना ढूँढा जग का, पता न तेरा पाया ! 
 
निठुर तेरी निठुराई पर तब मन को रोना आया ,
आँखों से मेरी उमड़ आज जीवन में पावस छाया ! 


किरण