गुरुवार, 11 अगस्त 2011

अभिनन्दन













स्वंत्रता दिवस पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनायें ! आज अपनी माँ की मंजूषा से उनकी कविता के रूप में यह अनमोल रत्न निकाल कर आप सबके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ जो कदाचित उन्होंने भारत की स्वतन्त्रता की पहली वर्षगाँठ पर लिखी होगी ! लीजिए आप भी इसका आनंद उठाइये !

अभिनन्दन

ओ स्वतंत्र भारत तेरे गौरव का फिर शुभ दिन आया ,
बाल अरुण निज स्वर्ण पात्र में कुमकुम भर कर ले आया !

तारागण बिखेर जीवन निधि मना रहे दीवाली सी ,
कुहुक उठी पूजन बेला में यह कोकिल मतवाली सी !

विजय हार पहनाने को ऋतुपति कुसुमायुध ले आया ,
श्रम सीकर चुन-चुन मलयानिल आर्द्र भाव से सकुचाया !

शुभ्र किरीट पहन है हिमगिरि आज गर्व से उन्नत और ,
हर्ष वेग से उछला पड़ता छू सागर चरणों की कोर !

तेरे वीर सुपुत्रों के मस्तक तेरे मणिहार बने ,
झिलमिल करते दिग्दिगंत जो उज्ज्वल रत्नागार बने !

आज वारने को तुझ पर रत्नों को ले अगणित आये ,
दर्शन कर तेरी सुषमा का जीवन धन्य बना पाये !

प्यारे भारत हृदय कुञ्ज के कुसुमों की गूँथी माला ,
आज तुझे पहनाने को लेकर आई है यह बाला !

स्वीकृत कर कृतकृत्य बना इस मन का भी रख लेना मान ,
मैं भी सफल पुजारिन हूँ यह जान मुझे होगा अभिमान !


किरण

चित्र गूगल से साभार !






18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना पढ़वाई आपने माता जी की.

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
    आशा

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  3. देशभक्ति से ओतप्रोत रचना ...
    माँ के चरणों में वंदन ...
    आभार!

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  4. देशप्रेम से लबरेज़ आपकी माता जी की रचना बहुत सुन्दर लगी.पढ़वाने के लिए आभार.

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  5. वाह ...अद्भुत काव्य ...
    भारत माँ को और इस काव्य जननी माँ को मेरा प्रणाम ..!!

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  6. माता जी की देशप्रेम से लबरेज़ बहुत सुन्दर रचना,भारत को, माँ को प्रणाम .

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  7. वाह ...हर पंक्ति बेमिसाल ...भावमय करती प्रस्‍तुति ।

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  8. बहुत खूबसूरत रचना ...माँ की अनमोल धरोहर हम तक पहुंचाने के लिए आपको साधुवाद ..

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  9. बहुत खूबसूरत रचना
    जय हिंद जय भारत

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  10. सुन्दर कविता, आप सबके शुभकामनायें।

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  11. बहुत ही सुन्दर रचना....
    आपको भी स्वंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

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  12. bahut acchha sahakt lekhan raha hai apki mata ji ka. unki lekhni ko naman.

    is blog par bhi aayen...

    http://anamka.blogspot.com/2011/08/blog-post.html

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  13. आज आपकी पोस्ट की चर्चा हलचल पर है ...कृपया अवश्य पधारें.

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  14. बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
    रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  15. मन को भा गयी यह कविता।

    रक्षाबंधन की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

    सादर

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  16. माँ ने गुलामी का मंजर भी देखा होगा और आजादी की ख़ुशी भी , हमें आज़ादी मुफ्त मिली है तो हम उसका अब मजाक बना रहे हैं . उसको अपने मनमाने ढंग से प्रयोग कर रहे हैं. माँ की रचना पढ़कर लगा कि कितना अच्छा लगा उस समय सब लोगों को. आज रोते हैं वे स्वतंत्रता सेनानी इस देश कि दुर्दशा पर.
    कॉपी पेस्ट नहीं हो पा रहा है सो सीधे आपको जोड़ दें.

    रेखा श्रीवास्तव
    09307043451

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  17. विजय हार पहनाने को ऋतुपति कुसुमायुध ले आया ,
    श्रम सीकर चुन-चुन मलयानिल आर्द्र भाव से सकुचाया ! ...बहुत ही सुन्दर रचना....

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