शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

अमावस न आती कभी भी

अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !

न होती उदय अस्त की नाट्य लीला,
सदा खिलखिलाते यहाँ पर सितारे,
न मुँदती कभी पंखुड़ी पंकजों की,
न चुगता चकोरा कभी भी अंगारे,
न रोती कभी चंद्रिका सिर पटक कर,
न होते कभी भी वियोगी दुखारे,
न चकवा वियोगी बना घूमता यों,
न चकवी ह्रदय फाड़ रोती कभी भी !

अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !

कलंकी न होते अगर इस धरा पर
कलंकी उसे कोई तब तो बताता,
यहाँ पापियों की सदा सृष्टि होती
कथा पाप की कौन उसको सुनाता,
पिलाती न अमृत यहाँ मोहिनी यों,
न बन राहू केतु कोई भी सताता,
न होता अगर दैव, दुःख भी न होता,
कला क्षीण प्रतिदिन न होती कभी भी !

अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !

न सूरज प्रभा छीन सकता था उसकी,
न बादल कभी आ उसे यों छिपाते,
न सागर में उठता कभी ज्वार भाटा,
न कविगण उसे निर्दयी ही बताते,
न होता खिलौना किसी के लिए वह,
न कह वक्र कोई उसे यों सताते,
लुटा पूर्णिमा पर अतुल ज्योति उसकी
न रजनी खड़ी खिलखिलाती कभी भी !

अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !

यहाँ पूर्णिमा ही सदा जगमगाती,
सदा रास मोहन यहाँ पर रचाते,
सदा चंद्रवदनी सुघर नायिका को
नई एक उपमा से कविगण सजाते,
सरस, स्निग्ध, शीतल सुधा नित बरसती,
अन्धेरा न होता, न यों दुःख उठाते,
सदा दिव्य जीवन यहाँ मुस्कुराता,
उदासी यहाँ पर न छाती कभी भी !

अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !

किरण

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भाव पूर्ण कविता |शब्दों का चयन बहुत खूबसूरत |
    आशा

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  2. Aapki rachnaon pe tippani dene ki himmat kam kar pati hun...aksar nishabd ho jati hun..

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  3. कितनी सादगी से चाँद का धरती पर आने के बाद का हाल लिख दिया है ...सुन्दर शब्द संयोजन...बेहतरीन रचना.

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  4. अनावस अभागिन न होती बहुत उम्दा रचना!

    शेष फिर (मेरी कविताओं का ब्लाग पर आपका स्वागत है
    )

    डा.अजीत

    www.shesh-fir.blogspot.com
    www.monkvibes.blogspot.com

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  5. गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...

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