रविवार, 6 जून 2010

मुझे सुहाता मुरझाना

तुम्हें फूल का खिलना भाता
मुझे सुहाता मुरझाना,
तुम्हें न भाते साश्रु नयन
मुझको न सुहाता मुस्काना !

तुम पूनम की सुघर चाँदनी
पर बलि-बलि जाते साथी,
मुझको शांत अमावस्या का
भाता यह सूना बाना !

उदित सूर्य की स्वर्ण रश्मियाँ
तुम्हें मधुर कुछ दे जातीं,
मुझे क्षितिज में डूबे रवि का
भाता वह पथ पहचाना !

तुम वसंत में कोकिल का स्वर
सुन-सुन मस्त हुआ करते,
मुझे सुहाता पावस में
पपिहे का पियु-पियु चिल्लाना !

तुम्हें सुहाती ऋतुपति के
स्वागत में व्यस्त धरिणी सज्जित,
मुझे सुहाता अम्बर का
नयनों से आँसू बरसाना !

तुम राधा मोहन के संग में
मिल कर रास रचा लेते,
मुझे सुहाते राधा के आँसू
मोहन का तज जाना !

तुम हो आदि उपासक साथी
मुझे अंत लगता प्यारा,
तुम्हें मिलन के राग सुहाते
मुझे विरह का प्रिय गाना !

आदि अंत का, विरह मिलन का
रंज खुशी का जब पूरक,
क्यों न अंत को प्यार करूँ मैं
व्यर्थ आदि पर इतराना !

किरण

15 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

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  2. अंत निश्चित है इसी को शाश्वत मान ले तो भी जीवन में कुछ खुश होने के बहाने अधिक हैं ...
    बहुत सुन्दर शब्द चुने आपने कविताओं के लिए..
    मैं जीवन का सकारात्मक पक्ष ही देखती हूँ इसलिए आपकी कविता का तुम अपने जैसा ही लग रहा है ...

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  3. आईये जानें .... मन क्या है!

    आचार्य जी

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  4. अति सुन्दर...आपका आभार इसे प्रस्तुत करने का. काश!! सभी रचनाओं की किताब मेरे पास होती!!

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  5. bahut khub

    फिर से प्रशंसनीय
    http://guftgun.blogspot.com/

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  6. सुंदर रचना..ऐसा लगे जैसे बचपन के दिन में कोई कविता याद कर रहा हूँ..रचना बहुत अच्छी लगी बधाई

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  7. आँसू जिनका जीवन है . यह गीत उन सबको समर्पित । अति प्रशंसनीय ।

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  8. बहुत अच्छी रचना....आप यह सब पढवा कर बहुत उपकार कर रही हैं ...ऐसी रचनाये मन पर बहुत प्रभाव छोडती हैं

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  9. bahut hi khoobsoorati se bhavon ko piroya hai.........kal ke charch amanch par aapki post hogi.

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद वंदनाजी ! मेरी मम्मी की रचना को चर्चा मंच में सम्मिलित करने के लिए आपकी आभारी हूँ !

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  11. आदि अंत का, विरह मिलन का
    रंज खुशी का जब पूरक,
    क्यों न अंत को प्यार करूँ मैं
    व्यर्थ आदि पर इतराना !

    बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति!

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