tag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post4581158117734994450..comments2023-10-26T16:57:45.800+05:30Comments on Unmanaa: वेदना के गीतSadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-88634579543843109482010-03-13T05:47:06.661+05:302010-03-13T05:47:06.661+05:30आप सभी का बहुत बहुत आभार !आप सभी का बहुत बहुत आभार !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-35922272236519840762010-03-12T22:27:22.885+05:302010-03-12T22:27:22.885+05:30लगा जैसे सुमित्रानन्दन पंत गीतांजलि रच रहे हों।लगा जैसे सुमित्रानन्दन पंत गीतांजलि रच रहे हों।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-21944780286201295982010-03-12T20:05:37.720+05:302010-03-12T20:05:37.720+05:30कामना की अनखिली कलियाँ लुटा कर
विरस पतझड़ में अकेली...कामना की अनखिली कलियाँ लुटा कर<br />विरस पतझड़ में अकेली मैं खड़ी हूँ ,<br />देख कर विश्वास का मृगजल सुहाना<br />अधर सूखे तृप्त करने को अड़ी हूँ !<br />ले गयी हैं छीन कर मुस्कान पौधों की बहारें<br />फूल तेरी अर्चना को मैं कहाँ से पा सकूँगी !<br />गीत कैसे गा सकूँगी !<br />बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति है। अच्छी लगी।शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-86732518383627588972010-03-12T17:32:16.518+05:302010-03-12T17:32:16.518+05:30वाह!! बेहतरीन बिम्बों के साथ अद्भुत शिल्प!
कामना ...वाह!! बेहतरीन बिम्बों के साथ अद्भुत शिल्प!<br /><br />कामना की अनखिली कलियाँ लुटा कर <br />विरस पतझड़ में अकेली मैं खड़ी हूँ , <br />देख कर विश्वास का मृगजल सुहाना <br />अधर सूखे तृप्त करने को अड़ी हूँ ! <br /><br />माता जी को प्रणाम एवं बधाई!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-31143369952968885932010-03-12T17:13:25.461+05:302010-03-12T17:13:25.461+05:30अपूर्व कल्पना |बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति |
आशाअपूर्व कल्पना |बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-75288939923339332512010-03-12T13:09:41.155+05:302010-03-12T13:09:41.155+05:30यामिनी ने फूल की सेजें बिछाईं
पा उपेक्षा चाँद की ...यामिनी ने फूल की सेजें बिछाईं <br />पा उपेक्षा चाँद की मुरझा गयी हैं , <br />चाँदनी ने हर्ष की मणियाँ लुटाईं <br />ओस बन सारी धरा पर छा गयी हैं ! <br />इस अमावस की अंधेरी रात में ओ रे अपरिचित <br />पंथ तेरे द्वार आने का कहाँ से पा सकूँगी ! <br />गीत कैसे गा सकूँगी ! adbhutरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com