tag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post323901531363663797..comments2023-10-26T16:57:45.800+05:30Comments on Unmanaa: हृदय का ज्वारSadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-87336137732583625852010-10-30T09:41:45.656+05:302010-10-30T09:41:45.656+05:30behtareen prastuti......:)
deewali ki agrim subhka...behtareen prastuti......:)<br />deewali ki agrim subhkamnayen...मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-48723174772666469352010-10-29T18:56:54.018+05:302010-10-29T18:56:54.018+05:30ओह...अद्वितीय कविता !!!
मन आनंदित हो गया पढ़कर......ओह...अद्वितीय कविता !!!<br /><br />मन आनंदित हो गया पढ़कर...<br /><br />क्या भाव हैं,क्या शब्द योजना है और क्या रचना प्रवाह है...बस मुग्ध भाव से पढ़ती चली गयी..<br /><br />इस अनुपम लेखनी को नमन !!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-5083784831255969762010-10-29T04:46:40.820+05:302010-10-29T04:46:40.820+05:30आदरणीय किरण जी की इतनी यह रचना जीवन का गूढ़ सत्य औ...आदरणीय किरण जी की इतनी यह रचना जीवन का गूढ़ सत्य और गहन भावनाएँ बयान करने वाली एक अनुपम कृति है .....व्यथित मन का उद्दगार बहुत प्रभावशाली ठंग से प्रस्तुत किया गया है .<br />इसे हम सभी को पाठन हेतु उपलब्ध कराने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद !रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-65059296082938592982010-10-28T20:33:40.237+05:302010-10-28T20:33:40.237+05:30विपत्तियों को सहने का बल केवल ईश्वर की याद से ही ...विपत्तियों को सहने का बल केवल ईश्वर की याद से ही मिलता है। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!</b><br /><a href="http://testmanojiofs.blogspot.com/2010/10/blog-post_7507.html" rel="nofollow">विचार-नाकमयाबी</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-1470402995925928332010-10-28T20:18:47.847+05:302010-10-28T20:18:47.847+05:30सखे निर्ममों का यह मेला
यहाँ न स्वप्नों का कुछ मोल...सखे निर्ममों का यह मेला<br />यहाँ न स्वप्नों का कुछ मोल,<br />तेरी आहों, निश्वासों और <br />आँसू का है क्या कुछ तोल <br /><br />bahut gehri soch aur dukh ko abhivyakt karti huvi yah kavita bahut pathak ke dil me un bhavo ko paida karne me saksham hai .. kal chachamanch par aapki kavita hogi.. aapka abhaarडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-47408222237903340782010-10-28T14:20:24.234+05:302010-10-28T14:20:24.234+05:30बहुत गहन सत्य को इतने प्रभावी और सटीक तरह प्रस्तुत...बहुत गहन सत्य को इतने प्रभावी और सटीक तरह प्रस्तुत किया..बधाई..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-46848994732755787922010-10-28T13:57:26.896+05:302010-10-28T13:57:26.896+05:30जीवन के शाश्वत सत्य को बताती खूबसूरत रचना ...जीवन ...जीवन के शाश्वत सत्य को बताती खूबसूरत रचना ...जीवन तो क्षणभंगुर ही है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-3688563778011148282010-10-28T10:47:02.261+05:302010-10-28T10:47:02.261+05:30प्राणों की पीड़ा झर-झर कर
व्यर्थ लुटाती अपना जीवन,
...प्राणों की पीड़ा झर-झर कर<br />व्यर्थ लुटाती अपना जीवन,<br />हृदय कृषक क्यों निर्ममता की<br />धरती पर यह मुक्ता बोता !<br />बिलकुल सोचने पर मजबूर करती पँक्तियाँ<br />आओ क्षण भर इनके संग मिल<br />हम भी अपना साज बजायें,<br />यह क्षण भंगुर जीवन साथी<br />नहीं तनिक भी है अनमोल !<br />सार्थक सन्देश। आपकी कविता हमेशा ही उमदा होती है और क्या कहूँ। एक एक शब्द दिल तक जाता है। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-6426929282388731772010-10-28T09:08:18.465+05:302010-10-28T09:08:18.465+05:30बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति... पता नहीं इतनी अच्छी क...बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति... पता नहीं इतनी अच्छी कवितायेँ कभी लिख पाउँगा या नहीं..<br /><br />मेरे ब्लॉग पर इस बार<br /><br /><a href="http://i555.blogspot.com/2010/10/blog-post_28.html" rel="nofollow">उदास हैं हम ....</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-70400190689791143832010-10-28T05:56:41.371+05:302010-10-28T05:56:41.371+05:30"जग तो सोता शांत सेज पर,
तू क्यूँ बिलख बिलख र..."जग तो सोता शांत सेज पर,<br />तू क्यूँ बिलख बिलख रोता ,<br />बहुत सुंदर भाव लिए प्रस्तुति |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-90312499528836418882010-10-28T03:51:15.535+05:302010-10-28T03:51:15.535+05:30प्राणों की पीड़ा झर-झर कर
व्यर्थ लुटाती अपना जीवन,...प्राणों की पीड़ा झर-झर कर <br />व्यर्थ लुटाती अपना जीवन,<br />हृदय कृषक क्यों निर्ममता की<br />धरती पर यह मुक्ता बोता !<br /><br />Bhut sunder.... gahre manobhavon ki prastuti डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1818568092673226678.post-978457281588304392010-10-28T00:51:18.868+05:302010-10-28T00:51:18.868+05:30बहुत गहरे भाव लिये हे आप की यह कविता, धन्यवादबहुत गहरे भाव लिये हे आप की यह कविता, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com